Comparing Myself To Others: अक्सर सभी लोगों को दूसरे की खूबियां, अपनी खूबियां के आगे बहुत बड़ी लगती हैं | सामने वाले व्यक्ति के सफलताओं को देखकर हम अपनी जिंदगी को कोसने लगते हैं | ऐसा हर दिन हमारी जिंदगी में होता है | यदि हम किसी अन्य व्यक्ति की तुलना (Comparing Myself To Others), किसी अन्य व्यक्ति से करते हैं, तो यह हमेशा दुख का कारण बनता है, और यह आदत इंसान को हर वक्त दुख देती है | मानव जाति हमेशा अपनी तुलना किसी दूसरे व्यक्ति से कर हर वक्त दुखों में डूबे रहते हैं | यह आज से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है |
हम सभी यह सोचते हैं कि दूसरों के पास वह चीज है, तो हमारे पास क्यों नहीं होनी चाहिए, और इसी प्रकार यह सोचते हुए हम दुखों के महासागर में डूबते जाते हैं
अक्सर हम किसी का घर देखते हैं, तो हम उसके घर से अपने घर की तुलना (Comparing Myself To Others) करने लगते हैं | यदि उसके पास ऐसा घर है, तो वैसा घर मेरे पास भी होना चाहिए, परंतु सोचने वाली बात यह है कि, क्या यह तुलना हमारे लिए सही है? सुखदायक है, यदि किसी व्यक्ति से तुलना Comparing Myself To Others करने से हमें उस व्यक्ति से कुछ प्रेरणा के रूप में मिल रही है, तो यह तुलना हमारे लिए और आपके लिए अच्छी साबित होगी | परंतु किसी से तुलना Comparing Myself To Others कर हम यदि दुखी होते हैं, तो यह तुलना हमारे लिए दुख के अलावा कुछ नहीं दे सकती |
Comparing Myself To Others
Comparing Myself To Others किसी से तुलना करना सही भी हो सकता है और गलत भी | यह हम सभी पर निर्भर करता है, कि हम किसी से तुलना कर उसको पॉजिटिव डायरेक्शन में लेते हैं, या नेगेटिव डायरेक्शन में | यदि पॉजिटिव डायरेक्शन में तुलना Comparing Myself To Others करते हैं, तो हम किसी से तुलना कर यह सोचते हैं, कि यदि वह व्यक्ति इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचा है तो मुझे भी मेहनत कर उतनी ऊंचाई पर पहुंचना चाहिए | जो की एक पॉजिटिव सेंस होता है |
यदि हम इस व्यक्ति से तुलना Comparing Myself To Others कर, यह सोचते हैं कि वह कैसे सफल हो गया | मेरी जिंदगी तो उसे बहुत ही बदतर है | इस प्रकार के सेंस आपके मन में आए तो आप हमेशा दुखों में डूबे रहेंगे | उससे तुलना कर आप अपने आप को हमेशा छोटा समझेंगे और आपके दिमाग में नकारात्मक सोच की एक ऐसा घर बन जाएगा जो आपको हमेशा दुख देगा।
वर्ल्ड वर्ल्ड के लगभग 90% लोग दूसरों से तुलना Comparing Myself To Others कर अपनी जीवन को हमेशा दुख में डाले रहते हैं। दूसरे व्यक्ति की सफलता अपनी सफलता से बड़ी लगती है | भले ही मेरी सफलता दूसरे व्यक्ति से बड़ी ही क्यों ना हो | परंतु हमें अपनी सफलता छोटी ही दूसरे व्यक्तियों की सफलता के मुकाबले लगती है | इसलिए हम खुद को दूसरे व्यक्तियों के सामने छोटा समझने लगते हैं | परंतु क्या आपने कभी यह सोचा है, कि आपके पास जो भी है वह भी बहुत से लोगों के पास नहीं है | हर देश में भुखमरी जैसे स्थिति बनी रहती है | हजारों लोग सड़कों पर भीख मांगते हुए दिखाई देते हैं |
यदि हम उन व्यक्तियों से तुलना करें तो हमारे अंदर एक पॉजिटिव स्थिति बनेगी, जो हमें खुशी प्रदान करेगी | परंतु हम उन व्यक्तियों से ना तुलना Comparing Myself To Others कर उन व्यक्तियों से तुलना करते हैं, जो बड़े समाज के लोगों में स्थापित हैं | यदि हम इन व्यक्तियों से तुलना करें, तो हमें निराशा के अलावा कुछ भी हाथ नहीं आएगा ।
यह टिप्स अपनाकर दूसरों की तुलना से आप बच सकते हैं-Comparing Myself To Others
मैं हूं और तुम हो! मुझे यह बात तब समझ आई, जब मेरा आधा जीवन निकल गया | पश्चाताप के अलावा मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा | मैं अपनी तुलना हमेशा कक्षा में पहले नंबर पर आने वाले विद्यार्थियों से करता रहता | परंतु अब समझ में आया कि बच्चे आत्महत्या की सीमा तक क्यों पहुंच जाते हैं | तुलना समाज में कैंसर की तरह बढ़ रही है | बड़ा आदमी छोटे से तुलना कर अहंकारी हो जाता है, और एक छोटा आदमी बड़े आदमी से तुलना कर, मन में कड़वाहट भर लेता है | क्या यह स्थितियां हमारे लिए सही है, तो जवाब मिलेगा आपको नहीं।
मेरा पोता अपने पापा से कहता है | पापा मुझे नया स्कूटर चाहिए, मेरे कॉलेज में मेरे दोस्त के पास नया स्कूटर है | यह बात सुनकर मेरे पोते को उसके पापा समझते हैं, कि तुम अपने दोस्तों की तरह कक्षा में पहले नंबर पर आओ, अच्छे तरह से पढ़ाई लिखाई करो, एग्जाम में फर्स्ट आओ, फिर मैं जरूर स्कूटर तुम्हें दिला दूंगा | कभी-कभी तुलना करना आगे बढ़ाने और लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है | मेरा पोता भी पिता की यह बात सुनकर लगन से पढ़ने लगा |
हालांकि जरूरी नहीं है कि हर बार तुलना Comparing Myself To Others से निराशा ही पैदा हो | भौतिक वस्तुओं के प्रति तुलना से संभव है कि जीवन में बदलाव आ जाए | मगर लक्ष्य के प्रति हमें अपने बच्चों की सोच बदलनी होगी, और उनके भीतर पल रहे अवसाद को मिटाना होगा। आज मैं समझ पा रही हूं, कि प्रत्येक व्यक्ति की विशेषता सभी व्यक्तियों से भिन्न-भिन्न होती है |
जब मैं अपने चित मानस से प्रकृति को देखा तो लगा कि सूरज, चांद नहीं हो सकता और नही चांद, सूरज हो सकता है | गुलाब का फूल गेंदा नहीं, समझ में बड़ा, छोटा नहीं गुरु, सुंदर नहीं और बुद्धिमान, मूर्ख नहीं आदि तुलना करने पर जीवन में बहुत सी ऐसी स्थितियां आ जाती है जिसे स्वतः ही स्वीकार लिया जाय। अपनी प्रतिष्ठा को संपन्नता के साथ रखने पर नकली विचार मन में विद्रोह पैदा करते हैं | यही अवसाद का कारण बन जाते हैं | हम जो भी हैं, उस ईमानदारी एवं प्रसन्नता के साथ स्वीकार करने पर जीवन आसान हो जाता है | और निर्भय होकर जीने से जीवन में अनेक प्रकार की खुशियां आ जाती हैं ।
अपने आप को समझें-Comparing Myself To Others
आपका, आपसे बेहतर मित्र इस जहां में कोई नहीं हो सकता | आप, अपने आप को जानते हैं, आपके लिए क्या सही है, क्या गलत है | आप, अपने आप से सच्चे मन से प्रेम करें और अपने, आप से ही अपने आप को तुलना करें | यदि ऐसा करने में आप सफल रहते हैं तो जीवन में आपको कभी निराशा नहीं होगी | जीवन में आप हमेशा खुशहाल रहोगे और जीवन में आगे बढ़ने की अनेक प्रेरणा मिलेगी।
यदि आप, अपने आप को समझ जाते हैं, तो जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु आपको मिल जाएगी | क्योंकि दुनिया में कोई भी व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं कर पता है | अपने, आप को नहीं जान पाता है और दुनिया में अलग-अलग व्यक्तियों से अपनी तुलना कर हमेशा दुख में डूबा रहता है ।
अपनी उपलब्धियां को याद रखें-Comparing Myself To Others
जब भी आप जीवन में दुखी हो, किसी से तुलना कर आपका मन हार जाए, तो आप अपने उन पलों को याद करें, जिससे आप जिंदगी में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की | जब भी आपका मन दुखी हो, उन उपलब्धियां को याद करें, आपका मन हल्का होगा |आपके दुःख क्षण भर मात्र में खत्म हो जाएंगे | यदि आप ऐसा करने में सफल रहते हैं, तो आपको ऐसा महसूस होगा कि आप इस दुनिया में औरों से कम नहीं हैं ।
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सेल्फ केयर-Comparing Myself To Others
कहां जाता है, कि मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धन, मनुष्य की अपनी खुद की शरीर होती है | यदि शरीर स्वस्थ है, तो वह इंसान इस दुनिया में सबसे ज्यादा धनवान है | यदि मनुष्य के पास करोड़ों की संपत्ति है, परंतु शरीर स्वस्थ नहीं है, रोगों से ग्रस्त है, तो उस मनुष्य के लिए उसकी सारी संपत्ति मिट्टी के बराबर होगी | इसलिए अपने शरीर को स्वस्थ रखें, साफ सुथरा रखें । शरीर पर हमेशा ध्यान देते रहें।
जीवन में सबसे मूल्यवान चीज मनुष्य की शरीर ही है | शरीर स्वस्थ नहीं तो जीवन कुछ भी नहीं, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से भोजन करें, स्वच्छ भोजन करें, योगा करें, एक्सरसाइज करें, मेडिटेशन करें, स्वच्छ वातावरण में विचरण करें, अपने दिमाग को शांत रखें गुस्सा ना करें और बुरी सोच को अपने मन से निकाल दें | यदि ऐसा कर पाने में आप सफल रहते हैं, तो यह मान लीजिए कि आपसे धनवान व्यक्ति कोई नहीं है | यदि आप खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो दूसरों से तुलना करना छोड़ दें | आप किसी भी व्यक्ति से काम नहीं है
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