Keep Thinking Positive 2024: सोच को सकारात्मक रखें, कामयाबी कदम चूमेगी, New Tips!

Keep Thinking Positive: रीना के पास अच्छा घर है, नौकरी, पैसा है और सेहत भी ठीक-ठाक है लेकिन एक समस्या है | रीना का पति के साथ रीना के लिए विदेश घूमने का मुहूर्त नहीं निकल रहा! उधर मिसेज मालती की तो नई कई समस्याएं हैं | एक सुलझती है तो दूसरी आ जाती है | मसलन, बेटे का मनपसंद स्कूल में एडमिशन हो गया है, लेकिन सेक्शन ठीक नहीं मिला | 5 साल में ही होम लोन उतार दिया, लेकिन खुश नहीं है | अब पति पहले की तरह बाहर खिलाने पिलाने नहीं ले जाते | आप सोचेंगे कि भला यह भी कोई समस्या हैं ? तो आपके लिए ना सही परन्तु बहुत सी महिलाओं के लिए यह गंभीर समस्याएं हैं |

Keep Thinking Positive

क्या आपको नहीं लगता कि यह समस्याएं, दरअसल समस्या नहीं, दिमाग पर लगा एक बोझ है, जिसे आप बताती जाती हैं | जो आपकी समस्या थी, वह सुलझ गई | जिसके बाद आपको खुश होना चाहिए, लेकिन आपने एक दूसरी समस्या की पोटली लेकर चल दी हैं | जो भी खुशियां हासिल हुई, उन्हें अपने दूसरी समस्याओं के कारण उन्हें भी छोड़ दिया | यह सब तो ठीक है, लेकिन यह भी होता तो और अच्छा होता! जैसे वाक्य आप आज पास-पड़ोस हित, नात-रिश्तेदार में किसी न किसी से अवश्य सुनती होगी | असल यह संतोष, सब्र Keep Thinking Positive की बातें है |

और इंसान की संतोष ने समाज और दुनिया में अजीब सी बेचैनी पैदा कर दी है | जो है पर्याप्त है’ Keep Thinking Positive की सोच वालों व्यक्ति के आसपास भी यदि संतोषी व्यक्ति होते हैं तो वह व्यक्ति भी अनजाने में इसका शिकार होने लगते हैं | सब कुछ होने के बाद भी रोते रहने की आदत एक मानसिक बीमारी है, जोकी उस पूरे परिवार और आसपास के परिवेशके लोगों को शिकंजे में ले लेती है | जो आपके पास है, साथ है, जाने अनजाने वह काम लगने लगता है और धीरे-धीरे खुशियां आपसे दूर होती चली जाती हैं |

आज के दौर में लोगों में असंतोष इतना बढ़ गया है कि हमने सभी सकारात्मक सोच Keep Thinking Positive को ही कई कदम पीछे छोड़ दिया है |

सब्र की सीमा-Keep Thinking Positive

Keep Thinking Positive, संतोष सबसे बड़ा धन है | गौतम बुद्ध के इस विचार से लाखों करोड़ों मनुष्य जीवन में तमाम अभावों, कमियो, कमजोरी और असफलताओं से लड़ने की शक्ति पाते हैं | जो है वही हमारे लिए पर्याप्त है | जिस व्यक्ति में यह भावना उजागर हो गई, जिस व्यक्ति ने संतोष कर लिया, वही व्यक्ति इस धरती पर सबसे बड़ा धनवान (अमीर) है | लेकिन उन लोगों का क्या, जो संतोषी हैं ! जिन लोगों के पास सब कुछ है, फिर भी दिन रात ‘ वे लोग कहते रहते हैं कि, यह नहीं, वह नहीं’ के चक्कर में पड़े रहते हैं उनका क्या?

सब्र की सीमा elon musk

मिसेज दत्ता जब भी मिलती हैं, उनके पास बताने के लिए हमेसा एक उपलब्धि होती है | उनकी उपलब्धि इस प्रकार होती है – मनपसंद साड़ी, डायमंड की रिंग या फिर जन्मदिन पर पति का दिया गया नया आईफोन हो सकता है | इन सब चीजो के हुते हुए भी लेकिन वे खुश होते-होते दुखी होकर सभी महिलाओं से कहने लगते हैं कि बच्चे का एडमिशन बढियां स्कूल में हो जाता तो मुझे बड़ी खुशी होती या फिर (वह अन्य प्रकार की बात से) इस बात से दुखी हो जाती हैं कि एक और बड़े घर के लिए पति के पैसे कम पड़ रहे हैं, जिस कारण अपने पुराने ज़माने से पड़ी जमीन को बेचना पड़ेगा |

आप को बता दें की असंतोष का कारण उनके साथ हमेशा रहता है | वह कभी अकेली नहीं रहीं है | और संतोष कभी किसी व्यक्ति के पास नहीं रहता, असंतोष हम और आप में भी होता है, फिर ऊंचाई किसी रूप में हो, लेकिन उसकी एक मानक सीमा होती है, जिसे आम शब्द में सब्र की सीमा कह सकते हैं | किसी समय पर आकर तो आपको संतोष करना पड़ेगा और जो लोग नहीं कर पाते, वे लोग सब कुछ होते हुए भी जीवन भर दुख की ज़िन्दगी जीते रहते हैं |

असंतोष हम और आप में भी होता है

जो ज़िन्दगी कम या जादा है, उसका भी आनंद नहीं उठा पातें है | कहा जाता है कि आखिर में ‘ कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं जमीं तो कहीं आसमान नहीं मिलता’ , मगर वे लोग जमीन को आसमान से मिलने की ओर में कहीं के नहीं रहते, जो लोग संतोष नहीं करते |

मन पर काबू-Keep Thinking Positive

देखा जाए तो यह एक बीमारी है, जो सर्वव्यापी और सर्वकालिक है | यह आधुनिक समय में ही नहीं, हमेशा रही है | इसका विश्लेषण करें तो कोई समाजशास्त्री इसे सामाजिक बीमारी कहेगा तो मनोवैज्ञानिक मानसिक बीमारी | कोई इसकी चपेट में अपने आसपास के माहौल से आ जाता है तो किसी व्यक्ति में परिवार की देन होती है, तो कोई व्यक्ति जन्मजात भी हो सकता है | लेकिन एक बात तय है कि यह एक बीमारी है और खतरनाक भयंकर बीमारी है, जो किसी भी दवा से नहीं ठीक होती |

मन पर काबू

कोई भी व्यक्ति अपनी सोच Keep Thinking Positive समझ को विकसित करने और अपने मन पर काबू रखने से ही इससे बच सकता है | कहीं ना कहीं हम सभी, सब कुछ मिलने के बाद भी जीवन में अति सुख उत्पन्न करना बंद कर देते हैं | जहां पहले के लोग छोटी-छोटी चीजों पर अपने घरों में खुशियां मनाते थे, लेकिन अब हम सभी ऐसा नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें छोटी सी बात मानकर छोड़ देते हैं, फिर चाहे वह अपनों के लिए समय देना हो या खुद को समय देकर अपने आप को ताजा करना हो |

अपनी खुशियों को छुपाना, दूसरों के साथ अपनी खुशियों को शेयर ना करना, अपने में ही सिमट कर रह जाना है | और फिर कहना कि हमारी तो किसी व्यक्ति को जरूरत ही नहीं है, उसके बाद इन सब बैटन को अपने दिमाग में समा लेना भी एक तरह से असंतोष ही माना जाता है |

एक दूसरे से तुलना-Keep Thinking Positive

Keep Thinking Positive: आज के दौर में लोगों में असंतोष इतना बढ़ गया है कि हमने सभी सकारात्मक सोच Keep Thinking Positive को ही कई कदम पीछे छोड़ दिया है | जिस कारण हम लोग कुछ भी सही स्थिति नहीं देख पाते | हमें अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से से एक सही दिशा में लेकर जाना चाहिए | सोशल मीडिया के आने के बाद अधिकतर लोग उन सभी बातों की काफी मात्रा में कम करना चाहते हैं, जिनसे उनका भले ही कोई वास्ता न हो |

एक दूसरे से तुलना

नए गैजेट, फैशन, लाइफस्टाइल या फिर किसी की बड़ी सफलता या उपलब्धि को देखकर हम भी तुलना करने लगते हैं और उसी तरह की सफलता पाने की सोचने लगते हैं, लेकिन कुछ कारणों से जब ऐसा नहीं होता तो हमारा दिल बैठ जाता है, जबकि सब व्यक्तिओं की सफलता एक सामान नहीं हो सकती, इसके कारण हम सब परेशान होने लगते हैं और जो व्यक्ति एक दुसरे से तुलना नहीं करते, वे सुखी रहते हैं | हमें उन लोगों जैसा ही बनना है |

वर्तमान समय में दुख का सबसे बड़ा कारण क्या है? एक दूसरे से तुलना करना, जिसकी वजह से देश के युवा हर समय दुखी पाए जाते हैं | हम सभी कहीं ना कहीं बिना किसी कारण हम परेशान रहते हैं | यहां तक हम परेशान हो जाते हैं कि अगर विश्वास की बात करें तो वह भी हम एक दूसरे पर नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण हम सभी परेशान और तनाव में रहते हैं | पहले हमारा पास-पड़ोस हमरे लिए बहुत महत्व रखता था, लेकिन आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हमारे पास ना तो वह पड़ोस है और नहीं वह समाज में संयुक्त परिवार हैं |

संयुक्त परिवार

उस समय अगर हमको किसी भी तरह की जरूरत होती थी तो हमारे समाज, परिवार ,या पास-पड़ोस का कोई ना कोई व्यक्ति हमेशा तैयार रहता था | कहने का मतलब यह है कि जब हमें अपने आसपास वाले तनाव में देखते थे तो सही सलाह Keep Thinking Positive मिल जाती थी जिसकी वजह से हम तनाव मुक्त रहते थे |

कुछ पल ठहरकर-Keep Thinking Positive

सबसे बड़ी खुशी तो हमें अपने जैसा बने रहने में ही मिलती है | कहते हैं ना कि अपना ‘ट्रू सेल्फ’ हमें कभी नहीं छोड़ना चाहिए | तुलना हमें मन से कमजोर बनाती है, जिससे हमें बचाना चाहिए | ना खुश रहने का एक कारण यह भी है | चीजों को लेकर हमें स्वीकार्यता Keep Thinking Positive रखनी चाहिए | ‘ जो है , वह क्या काम है ‘ की भावना होनी चाहिए | जितना हमें मिलने मिलने जाता है, हम उससे अधिक पानी की No Keep Thinking Positive सोच का शिकार हो जाते हैं |

कुछ पल ठहरकर

अधिक पानी की चाहत बुरी नहीं, लेकिन जो है उसकी खुशियां तो मान लें | लोग मान बैठते हैं कि जो हम सोच रहे हैं, वही सही है | खुद का खुद के साथ हर समय कठोर बने रहना सही नहीं है | यह जब आदत बन जाती है तो सुखचैन छीन लेती है इतनी मेहनत के बाद जो कुछ भी आप ने हासिल किया, उसे अपनों के लिए, अपनों और अपने परिवार के साथ महसूस कर सकें, हम सभी ऐसा नहीं करते, बल्कि उन सभी वस्तुओं को छोड़ आगे भागना शुरू कर देते हैं |

अगर कोई व्यक्ति पूछे क्यों तो किसी व्यक्ति को नहीं पता | इसलिए कभी-कभी जिंदगी में कुछ समय ठहरकर उन सभी लम्हों को महसूस करना चाहिए | जीवन में जो अच्छा हो रहा है, इसका जश्न मनाना चाहिए | कहने का मतलब यह है कि जब हमें अपने आसपास वाले तनाव में देखते थे तो सही सलाह Keep Thinking Positive मिल जाती थी जिसकी वजह से हम तनाव मुक्त रहते थे |

असली खुशी भौतिक चीजों में नहीं-Keep Thinking Positive

आपकी नजर में खुशी की परिभाषा क्या है? मैं तभी खुश रहूंगी, जब मेरी दोस्त ऐसी होगी, मेरे पास अगर ऐसी गाड़ी होगी, मनपसंद घर होगा, नौकरी होगी | आप बहुत सारी मटेरियल स्टिक चीजों को अपने आसपास रखकर एक खुशी की परिभाषा दे देती हैं और जब भी मिल जाती हैं तो आप खुश और संतुष्ट हो जाते हैं | जाने अनजाने आप जीवन को मैटेरियलिस्टिक चीजों पर ज्यादा प्रोजेक्ट करती हैं | आपकी आधी जिंदगी तो इसी में निकल जाती है, एक ही तरह से सो सोचते सोचते | सभी व्यक्ति को Keep Thinking Positive सोच की बातें ध्यान करण चहिये |

असली खुशी भौतिक चीजों में नहीं

जब यह अचीवमेंट कुछ दिन बाद खत्म हो जाते हैं, उसके बाद जिंदगी फिर वही | अब आगे क्या? बड़े घर में शादी हो गई, मनपसंद लड़का भी मिल गया, लेकिन हमने वहां काम नहीं किया, जहां असली खुशी है | हमें संबंधों पर काम करना चाहिए था, मैटेरियलिस्टिक चीजों पर नहीं | आज के दौर में लोगों में असंतोष इतना बढ़ गया है कि हमने सभी सकारात्मक सोच Keep Thinking Positive को ही कई कदम पीछे छोड़ दिया है |

सोशल मीडिया ने एक हाय और दे दी है कि यह तो अपने कर लिया | इससे ज्यादा यह करके देख लो | चाहे वह शादी हो या उत्सव हो, कोई एहसास ही नहीं रहा है | अब हर चीज का एहसास खत्म हो गया है | आपको लगता है की असली खुशी सिर्फ स्टेटस मेंटेन करने से आती है, लेकिन इसे असली खुशी नहीं आती | इसलिए लोग सब कुछ हासिल होने के बाद भी दुखी रहते हैं | सब कुछ होने के बाद भी आप उसे फूल नहीं करती हैं, क्योंकि आप क्लियर ही नहीं हैं कि आपके जीवन में क्या चाहिए |

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