Karnataka Rajyotsava 2023, इसरो प्रमुख को दिया जाएग कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार 1 नवम्बर को क्यों मनाया जाता है कर्नाटका राज्योत्सव? जानें क्या है कर्नाटक का छिपा इतिहास ?

Karnataka Rajyotsava 2023, इसरो प्रमुख को दिया जाएग कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार | 1 नवम्बर को क्यों मनाया जाता है कर्नाटका राज्योत्सव? जानें क्या है कर्नाटक का छिपा इतिहास ? हर साल की भांति इस साल भी 1 नवम्बर को कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार दिया जायेगा | इस साल इसरो प्रमुख एस सोमनाथ समेत 68 लोगों को प्रदान किया जाना प्रस्तावित है | कर्नाटका सरकार द्वरा दिया जाने वाला  Karnataka Rajyotsava पुरस्कार इस राज्य का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है | यह पुरस्कार उन व्यक्ति को दिया जीता जाता है जो अपने विभिन्न क्षेत्रो में देश की गारिम के लिए ,सराहनीय कार्य के लिए दिया जाता है |

 Karnataka Rajyotsava

जिन छात्रों ने विभिन्न राष्ट्रीय खेलों में पदक है, उन्हें भी सरकार द्वारा कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है। मंत्री शिवराज तंगडगी ने 31 oct 2023 को कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार के लिए चयनित नामों की घोषणा कीया है | यह पुरस्कार 1 नवम्बर को दिया जायेगा |

इसरो प्रमुख श्री. एस.सोमनाथ, Karnataka Rajyotsava पुरस्कार से सम्मानित किये जायेंगे 

S. Somnath
Karnataka Rajyotsava – 1

Karnataka Rajyotsava 2023, श्री. एस.सोमनाथ कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित किये जायेंगे | श्री. एस.सोमनाथ ने अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष के पद पर हैं, इनके महान कार्यो के लिए पूरा भारत इनका, प्रसंसा करता है | श्री. सोमनाथ ने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त किये हैं |

इन्होने विश्व में इतिहास रचते हुए, अपनी इसरो टीम के साथ चंद्रयान 3 को चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाया था | इनको इस सराहनीय कार्य के लिए कर्नाटक सरकार ने “कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार” से सम्मानित किये जाने का घोषणा किया है |

कर्नाटक राज्योत्सव  एक त्यौहार 

Karnataka Rajyotsava कर्नाटक राज्योत्सव दिवस, कर्नाटक के लोग त्यौहार रूप में मानते है | इस दिन पुरे कर्नाटक राज्य में  ख़ुशी का माहौल होता है | कर्नाटक राज्य के नागरिको के लिए कर्नाटक राज्योत्सव सिर्फ एक दिवस नहीं बल्कि इस राज्य के लिए एक त्यौहार है |

1 नवम्बर को कर्नाटक राज्य, कर्नाटक राज्योत्सव के दिन एक जुलुस निकालती है इस जुलुस में वाहनों पर ध्वज लगाकर जुलुस में सामिल होते | इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होता है, शास्त्रीय कर्नाटक संगीत का आयोजन होता है |

Karnataka Rajyotsava कर्नाटक राज्योत्सव का इतिहास 

Karnataka Rajyotsava

कर्नाटका राज्योत्सव, कर्नाटक राज्य के जन्म अर्थात कर्नाटक राज्य का जब गठन हुआ उस दिन को Karnataka Rajyotsava दिवस के रूप मनाया जाता है | कर्नाटक राज्योत्सव हर साल 1 नवम्बर को मनाया जाता है | सन 1956 की बात है जब दक्षिण भारत के सभी कन्नड़ भाषा बोलने वालो नागरिको के लिए एक अलग राज्य, कर्नाटका की स्थापना किया गया | उसी दिन से कर्नाटक राज्य के नागरिक 1 नम्बर को  कर्नाटक राज्योत्सव दिवस के रूप में मानते हैं | कर्नाटक राज्य के लिए कर्नाटक राज्योत्सव दिवस एक मुख्य त्यौहार की तरह है |

कर्नाटका राज्योत्सव का इतिहास 

कर्नाटका राज्योत्सव जिसे बहुत से लोग कर्नाटक राज्य दिवस के रूप में भी जानते हैं। यह दिवस हर साल 1 नवंबर को कर्नाटका राज्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। कर्नाटक सरकार द्वारा 1 नवंबर को सरकारी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। जिसे कर्नाटक राज्य के लोग एक त्योहार के रूप में जानते हैं। यह दिन 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार कन्नड़ भाषा बोलने वाले क्षेत्र को राज्य में गठन के समय विलय कर दिया गया। जिस दिन को कन्नड़ भाषण बोलने वाले क्षेत्र के लोग जहां कहीं भी रहते हैं, 1 नवंबर को कर्नाटक राज्य उत्सव दिवस के रूप में जरुर मनाते हैं।

चलिए कर्नाटका राज्योत्सव का इतिहास जान लेते हैं। एलुरु वेंकट राव भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1905 में देश में चल रहे एकीकरण आंदोलन के साथ राज्य को एक साथ करने का उन्होंने सपना देखा। उसके बाद सन 1950 में भारत एक स्वतंत्र देश एवं गणतंत्र बन गया। भारत के गणतंत्र बनने के बाद देश में विभिन्न भाषाओं के लोग देश में निवास करते थे | जिस कारण देश में भाषाओं के आधार पर अनेक प्रांतो का गठन किया गया, उसके साथ ही दक्षिण भारत के विभिन्न जगह को मिलाकर मैसूर राज्य बनाया गया। जिस राज्य में पहले राजाओं का शासन रहता था।

1 नवम्बर 1956 को मद्रास प्रेसीडेंसी एवं मुंबई मिलकर कन्नड़ भाषाई क्षेत्र को हैदराबाद रियासत के साथ मिला दिया | जिसमें मैसूर रियासत का अधिकांश भाग शामिल था। इसके बाद कन्नड़ भाषा वाले क्षेत्र को मैसूर के साथ विलय कर दिया गया। जब नए राज्य का गठन हुआ और हैदराबाद का अधिकांश भाग को उसमें मिला दिया गया, उस समय नए एकीकृत राज्य का नाम मैसूर बरकरार रखा गया, जो की भारत के पूर्ववर्ती रियासत के नाम पर रखा गया था । परंतु उत्तरी रियासत के लोग इस नाम को स्वीकार नहीं कर रहे थे । यह राज्य पूर्ववर्ती रियासत दक्षिणी रियासतों से जुड़कर बना था | जिसके बाद 1973 में 1 नवंबर को इस राज्य का नाम बदलकर उत्तरी और दक्षिणी रियासतों के समर्थन में कर्नाटक रख दिया गया । जिस समय इस निर्णय को लिया गया उस समय उस राज्य के मुख्यमंत्री देवराज अरासु थे।

कर्नाटक राज्योत्सव एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम 

कर्नाटक राज्य के निर्माण का दिन जो की कर्नाटका राज्योत्सव के दिवस के रूप में सभी लोग जानते हैं | इस दिवस को पूरे कर्नाटक वासी खुशी के साथ कन्नड़ ध्वज, कन्नड़ संस्कृति और कर्नाटक के लोगो द्वारा जोश के साथ इस उत्सव को मनाया जाता है। कर्नाटका राज्योत्सव के दिन पूरे राज्य सहित जिस जगह पर कर्नाटक के लोग रहते हैं, उस जगह पर उत्सव जैसा माहौल कर्नाटक वासी बना देते हैं। इस दिन भारतीय देश का तिरंगा न फहराकर उस राज्य का झंडा लाल और पीले रंग के कन्नड़ झंडे को फहराया जाता है | उसके साथ ही इस राज्य का गान ‘जय भारत जननी तनुजते’ का गान गया जाता है। इस दिन राजनीतिक स्थान पर झंडा फहराकर भाषण देने का कार्यक्रम रखा जाता है | साथ ही इस दिन सड़कों पर जुलूस निकालकर उत्सव मनाया जाता है।

राज्य सरकार द्वारा इस दिन राज्य के लिए महान कार्य करने वाले व्यक्ति को कर्नाटक सरकार पुरस्कार देने का निर्णय लेती है, एवं राज्य के मुख्यमंत्री सांस्कृतिक कार्यक्रम और सांस्कृतिक शो का उद्घाटन करते हैं। कर्नाटका राज्योत्सव के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम परंपरागत तरीके से सालों से चलते आ रहे बेंगलुरु के कांतीराम स्टेडियम में राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित किया जाता है। कर्नाटका राज्योत्सव के दिन जुलूस के साथ कर्नाटक में पारंपरिक नृत्य और शास्त्रीय नृत्य का लोगों द्वारा प्रदर्शन किया जाता है |

 

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