Sam Bahadur Movie Review, विक्की कौशल ‘सैम बहादुर’ मूवी को लेकर शुर्खियों में हैं, मूवी देखने से पहले रिव्यू देख लें |

Sam Bahadur movie Review: विक्की कौशल एक बार फिर बड़े परदे पर दिखे, सैम बहादुर मूवी में सैम मानिकशॉ के कीरदार में विक्की कौशल ने क्या खूब रोल प्ले किया | इस इस फिल्म के निर्देशक मेघना गुलजार है, इन्होने इस गिल्म को बखूबी डायरेक्ट किया है और साथ में विक्की कौशल ने भी इस फिल्म में कमाल का अभिनय किया है | फैन्स में उत्साह था कि, Sam Bahadur movie Review कैसा है | इस फिल्म का ट्रेलर तो बहुत ही अच्छा था, आइये आप सभी को बताते हैं कि फिल्म कैसी है |

Sam Bahadur movie Review

  • Release date: 1 December 2023
  • देश: भारत
  • फिल्म अवधि: 2 घंटा 30 मिनट
  • भाषा: हिंदी
  • बजट: 55 करोड़
  • डायरेक्टर: मेघना गुलजार
  • प्रोड्यूसर:  रोनी स्‍क्‍य्रूवाला
  • प्रोडक्‍शन  companies: RSVP Movies, RSVP
  • कार्यकारी प्रोड्यूसर: Ravi Tiwari, Prafull Sharma
  • म्यूजिक डायरेक्टर: Shankar–Ehsaan–Loy, Shankar Mahadevan, Ehsaan Noorani, Loy Mendonsa, Ketan Sodha
  • अभिनीत: विक्की कौशल, फातिमा सना शेख ,संय मल्होत्रा 
  • Sam Bahadur movie Review और Sam Bahadur की कहानी 

Sam Bahadur की कहानी 

आप सभी ने शायद एक मूवी का डायलॉग सुना होगा कि, ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए बाबु जी लम्बी नही ठीक उसी प्रकार की ज़िन्दगी सैम बहादुर का था | उनका जीवन काल लम्बा ही नहीं बल्कि बहुत ही बड़ा था, उन्होंने अपने 94 वर्ष के जीवन काल में करीब 6 दशक फ़ौज में हि बिताए | सैम बहादुर का ब्रिटिश सेना में भर्ती होने एवं द्वितीय विश्व युद्ध लड़ने से लेकर फील्ड मार्शल बनने तक की घटनाओ को इस मूवी में दिखाया गया है | साथ ही उनके निजी एवं राजनैतिक जीवन को भी दिखाया गया है |

फिल्म की शुरुवात सैम मानिकशॉ के बचपन से होती है, फिल्म के शुरुवाती के मिनटों में ही दिखाया जाता है कि आखिर क्यों सैम मानिकशॉ का नाम बचपन में ही बदल दिया जाता है | उसके बाद किस तरह उनकी ज़िन्दगी आगे बढ़ी | फिल्म में में उनके बचपन के दृश्यों को नहीं दिखाया गया है, जबकि फिल्म की शुरुवात बचपन से होती है |

 Movie ट्रेलर

  • जाने फिल्म कैसी है 

फैन्स ने इस फिल्म का ट्रेलर देखा था उनको लगा था कि, सैम बहादुर का ट्रेलर इस साल का बेस्ट ट्रेलर है, लेकिन फिल्म देखने के बाद फैन्स को मजा नहीं आया | फैन्स का कहना है कि मूवी का ट्रेलर ही बस ठीक था, मोवी में बहत्त कुछ कमी रह गयी है | जानकारी के मुताबिक डायरेक्टर मेघना गुलजार ये जानते हुए कि इस मूवी को दर्सक जादा नहीं पसंद करेंगे उसके बावजूद उन्होंने इस मोवी को डायरेक्ट किया | उनको पता था की इस समय ऐसी फिल्मो को लोग जादा पसंद नहीं कर रहे हैं

फैन्स का कहना है कि जब मोवी की शुरुवात होती है तो ऐसा लगता है जैसे की हम सभी ने जो ट्रेलर देखा था, वो दूसरी मोवी का था | इस मोवी से जितना आशा थी, मोवी ने सबका दिल तोड़ दिया | हालाँकि विक्की कौशल के जोरदार एक्टिंग के वजह से इंटरवल के बाद थोड़ी फैन्स में ख़ुशी की लहर आयी | इस फिल्म में सैम मानिकशॉ के पूरी कहानी को भी कवर नहीं किया गया है,  यदि कोई व्यक्ति ‘सैम मानिकशॉ’ के पुरे हिस्ट्री के बारे में जनना चाहे तो उसे भी निराश होना पड़ेगा | जिसके वजह से ये मूवी थोड़ी कम कमाई करेगी | यह फिल थोड़ी चली तो सिर्फ विक्की कौशल के एक्टिंग के बदौलत |

  • विक्की कौशल की जोरदार एक्टिंग 

विक्की कौशल

सैम बहादुर फिल्म में विक्की कौशल ‘सैम मानिकशॉ‘ के लीड रोल में नजर आये | हालाँकि इस फिल्म ने दर्शकों को निराश भले ही किया हो लेकिन विक्की कौशल के जोरदार अदाकारी ने इस मूवी में जान दल दी | उनके एक्टिंग ने दर्शकों में ख़ुशी का माहौल पैदा कर दिया | इस फिल्म में विक्की कौशल ने अपने किरदार में इतने अन्दर तक चले गए कि, सैम मानिकशॉ’ के चाल-ढाल, हाव-भाव और बोली सब बखूबी निभाया जो एक किरदार में चाहिए |

  • सैम मानिकशॉ कौन थे 

सैम मानिकशॉ कौन थे 

सैम मानिकशॉ का पूरा नाम सैम हॉरमुसजी फेमजी जमशेदजी मानेकशॉ था, जिन्हे लोग सैम बहादुर के नाम से भी जानते थे । सैम मानिकशॉ 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में सेना के अध्यक्ष रहे एवं उस समय भारतीय सेना के बीच से फील्ड मार्शल पद धारण करने वाले पहले सेना अधिकारी के रूप में उनका नाम विख्यात हुआ हुआ। आपको बता दें कि उनका सैनिक करियर द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर लगभग पांच दसक  एवं अलग-अलग पांच युद्ध तक का उनका सन्य कार्यकाल रहा। सैम बहादुर द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर भारत-पकिस्तान युद्ध जैसे बड़े युद्ध में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान था। उनके कार्य एवं निष्ठा को देखकर इनको फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई।

सैम मानिकशॉ के द्वारा लड़े गए युद्ध 

सैम मानिकशॉ के द्वारा लड़े गए युद्ध 

सैम मानिकशॉ उर्फ़ समय बहादुर भारतीय वीरता के प्रतिक कहे जाने वाले सैनिक, भारतीय सेवा के लिए  अनेको  युद्ध में शामिल हुए। इनके द्वारा लड़ा गया युद्ध।

  1.  फील्ड मार्शल की उपाधि धारण करने वाले सैम मानिकशॉ द्वितीय विश्व युद्ध में भी शामिल हुए थे |
  2. सन 1971 में सैम मानिकशॉ के द्वारा भारत पाकिस्तान युद्ध लड़ा गया, जिसमें भारतीय जवान वीरता पूर्वक जीत हासिल की |
  3.  सन 1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में सैम मानिकशॉ शामिल हुए थे | इस युद्ध में हमारे भारतीय वीर जवानों की काफी मात्रा में शहादत हुई | इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक भी काफी मात्रा में मारे गए |
  4. सन 1947 में भारत-पाकिस्तान द्वारा लड़ा गया युद्ध में सैम मानिकशॉ शामिल थे | इस युद्ध में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी |
  5. चीन के साथ अब तक लड़ा गया मात्र एक ही युद्ध जिसमे भी सैम मानिकशॉ उर्फ सैम  बहादुर शामिल थे | इस युद्ध में भारतीय सेना कमजोर दिखाई पड़ी |
  6. बांग्लादेश मुक्ति युद्ध जिसमें बांग्लादेश को आजाद कराने हेतु लड़ा गया युद्ध, जिसमें भी सैम मानिकशॉ शामिल थे |

सैम मानिकशॉ ऐसे वीर जवान थे, जो की इतने बड़े-बड़े युद्ध में शामिल हुए एवं उनके द्वारा सबसे ज्यादा लड़ा गया युद्ध है | जिस कारण इनको फील्ड मार्शल उपाधि से नवाजा गया। लोग का कहना है कि, सैम मानिकशॉ एक लकी मैन यानी भाग्यशाली व्यक्ति हैं। 

  • सैम मानिकशॉ थल सेना 

सैम मानिकशॉ उर्फ सैम बहादुर सन 1932 में भारतीय सेना में आये, उन्होंने भारतीय सेना के देहरादून अकादमी में प्रवेश लिया था । उन्हें 12वीं फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 4वीं बटालियन में नियुक्ति मिली । सैम बहादुर द्वितीय विश्व युद्ध में सामिल हुए, जिसके लिए इस युद्ध में इनको वीरता के लिए मिलिट्री क्रास से सम्मानित किया गया । जब भारत का विभाजन हुआ उस समय इनको गोरखा रेजीमेंट में सामिल किया गया । भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तानी असंतुष्ट भारत देश से युद्ध छेड़ दिए । इस युद्ध में युद्ध के लिए सैम बहादुर को रणनीति बनाने के लिए जिम्मेदारी सौंप गई, परिणाम स्वरुप सैम मानिकशॉ ने अपनी जिम्मेदारी इस युद्ध में बखूबी निभाया।

  • प्रारंभिक जीवन

सैम मानिकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को पंजाब में हुआ था | इनका परिवार पारसी समुदाय से ताल्लुक रखता था। सैम मानिकशॉ की माता जी का नाम हिला नी मेहता एवं पिता हॉरमुसजी मानेकशॉ जो की एक चिकित्सक थे। उनके माता-पिता गुजरात के रहने वाले थे, परंतु वहां पर तटीय क्षेत्र होने के कारण इन्होंने गुजरात छोड़ पंजाब में रहने का निर्णय लिया। बचपन में सैम मानिकशॉ काफी जोशीले एवं सक्रिय थे |जिनको सेना में जाने की अत्यधिक लालसा थी |

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